कुमारी कंदम (Kumari Kandam): भारत का वो भूभाग जो सागर में समा गया — मिथक या वैज्ञानिक भ्रम?

कुमारी कंदम: भारत का वो भूभाग जो सागर में समा गया — मिथक या वैज्ञानिक भ्रम?

कुमारी कंदम — रहस्यमयी सभ्यता की कहानी

आज पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग और समुद्र के बढ़ते स्तर की चिंता कर रही है। वैज्ञानिक मानते हैं कि अगर यही हाल रहा तो कई तटीय शहर पानी में समा जाएंगे।
लेकिन क्या आप जानते हैं—ऐसा कुछ हज़ारों साल पहले भी हुआ था? तमिल साहित्य और परंपराओं में एक भूभाग का उल्लेख मिलता है जो लहरों में डूब गया—कुमारी कंदम।

कुमारी कंदम (Kumari Kandam) तमिल सांस्कृतिक और साहित्यिक कल्पनाओं में एक रहस्यमयी, अब डूब चुकी धरती है, जो भारत के दक्षिण में हिंद महासागर में बसी थी। इसे कभी एक महान तमिल सभ्यता का केंद्र माना गया था।

प्राचीन ग्रंथों में डूबे हुए भूभाग का जिक्र

मानव सभ्यता का इतिहास प्रलयों और विनाश की कहानियों से भरा पड़ा है। प्लेटो ने अटलांटिस का ज़िक्र किया, तो भारतीय ग्रंथों और तमिल परंपराओं में कुमारी कंदम का।
माना जाता है कि यह भूभाग कभी गोंडवाना महाद्वीप का हिस्सा था, जो टूटकर भारत, ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका बना।

लेमुरिया और वैज्ञानिक खोज

लेमुरिया (Lemuria) — 19वीं सदी में ज़ूलॉजिस्ट और भूवैज्ञानिकों ने अफ्रीका, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच जीवाश्म और जैविक समानताओं को समझाने के लिए यह खोया हुआ महाद्वीप प्रस्तावित किया था। यूरोपीय और अमेरिकी विद्वानों ने हिंद महासागर क्षेत्र में भूगर्भीय समानताओं को देखकर अनुमान लगाया कि यहाँ एक महाद्वीप रहा होगा।

उन्होंने इसे नाम दिया—लेमुरिया (Lemuria)।

उनका दावा था कि हिमयुग के बाद बर्फ पिघली, समुद्र बढ़ा और यह सभ्यता जलमग्न हो गई।

दिलचस्प बात ये है कि इसी समय "मु (Mu)" नामक एक और द्वीप के डूबने का जिक्र भी मिलता है। कहा जाता है कि इन दोनों भूभागों पर बेहद उन्नत सभ्यताएँ रहती थीं।

तमिल परंपरा और कुमारी कंदम (कुमारी कंदम और लेमुरिया में क्या संबंध है?)

तमिल इतिहासकार मानते हैं कि लेमुरिया का ही एक हिस्सा कुमारी कंदम कहलाता था।
इसे "कुमारी कांतम" या "कुमारी नाडू" भी कहा गया—एक ऐसा क्षेत्र जो भारत के दक्षिण में हिंद महासागर में फैला हुआ था।
तमिल लोकगीतों और साहित्य में आज भी इसके निशान मिलते हैं।

ब्रिटिश खोजकर्ता फिलिप स्क्लेटर और बाद में अन्य विद्वानों ने इस सिद्धांत को मज़बूती दी। उनका कहना था कि यह भूभाग कन्याकुमारी से लेकर मैडागास्कर और ऑस्ट्रेलिया तक फैला था—यानि आज के भारत से कई गुना बड़ा।

‘लेमुर’ और नाम की कहानी

"लेमुरिया" नाम ‘लेमुर’ से निकला है—ये एक जीव है जो बंदर और गिलहरी जैसा दिखता है और आज भी मैडागास्कर और दक्षिण एशिया के कुछ हिस्सों में पाया जाता है।
शोधकर्ताओं का मानना था कि यह तभी संभव है जब कभी इन क्षेत्रों के बीच ज़मीनी रास्ता रहा हो।

समुद्र स्तर में बदलाव: समुद्र स्तर और भूभाग का डूबना: विज्ञान क्या कहता है?

वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि लगभग 14,500 साल पहले समुद्र का स्तर आज की तुलना में 100 मीटर नीचे था।

पिछली हिमजमाव अवधि (Last Glacial Maximum) से अब तक समुद्र का स्तर लगभग 120 मीटर बढ़ा है। विशेष रूप से 15,000–6,000 साल पहले यह वृद्धि काफी तेज़ थी (लगभग 10 मिमी प्रति वर्ष)। दूसरे शोधों ने पुष्टि की है कि 11,000–3,000 साल पहले विश्व की समुद्र सतह में 38 मीटर तक वृद्धि देखी गई, और कुछ चरणों में यह वृद्धि 10 मिमी प्रति वर्ष से भी अधिक थी।

10,000 साल पहले यह 60 मीटर नीचे था—यानि उस समय भारत और श्रीलंका के बीच ज़मीन का पुल मौजूद रहा होगा।
लेकिन जैसे-जैसे बर्फ पिघली, समुद्र बढ़ा और यह भूमि धीरे-धीरे डूब गई।

तमिल लेखों के अनुसार कुमारी कंदम का करीब 7000 मील क्षेत्र 49 हिस्सों में बिखर गया। जो लोग बचे, उन्होंने अलग-अलग जगहों पर नई सभ्यताएँ बसाईं।

इस सदी (2000–2023) में ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्र सतह में लगभग 2 सेंटीमीटर की वृद्धि हुई। भारत के तटीय क्षेत्रों में पिछले 50 वर्षों में समुद्र स्तर लगभग 8.5 सेंटीमीटर बढ़ा (1.7 मिमी/वर्ष की औसत दर से)।

दक्षिण एशिया-भारतीय महासागर क्षेत्र में यह वृद्धि और तेज़ रही — कुछ जगहों पर दर बढ़कर 4–5 मिमी/वर्ष तक चली। हाल ही में (2024 में), NASA ने पाया कि वैश्विक समुद्र स्तर में वृद्धि अनुमान से 35% अधिक रही — ये पिछले 30 वर्षों की सबसे तेज दर थी।

दुनिया भर के वैज्ञानिक रिपोर्ट बता रहे हैं कि समुद्र बढ़ना हर साल तेज़ हो रहा है और यदि उत्सर्जन कम नहीं हुआ तो आगे बिगड़ सकता है।

कुमारी कंदम — मिथक या वास्तविकता?

वैज्ञानिक आज मानते हैं कि प्लेट-टेक्टॉनिक्स और भूगर्भीय अध्ययन के हिसाब से कुमारी कंदम एक मिथक है।
लेकिन तमिल परंपरा और लोककथाओं के कारण यह आज भी लोगों की आस्था और कल्पना का हिस्सा है।

कुमारी कंदम एक समृद्ध मिथक है, लेकिन इसका वैज्ञानिक आधार मौजूद नहीं है। वास्तविकता यह है कि मौसम परिवर्तन और ग्लेशियर पिघलने के कारण समुद्र स्तर लगातार बढ़ रहा है, जो आज के तटीय शहरों को सीधा प्रभावित कर रहा है।

कुमारी कंदम सिर्फ एक खोया हुआ भूभाग नहीं, बल्कि एक जीवित मिथक है—जो हमें बताता है कि समुद्र का बढ़ना कोई नई बात नहीं है।
आज जब ग्लोबल वार्मिंग के चलते तटीय शहर डूबने की कगार पर हैं, तब ये कथा हमें चेतावनी देती है कि प्रकृति के सामने इंसान कितना छोटा है।

कुमारी कंदम (Kumari Kandam) - Did You Know? 

1. लेमुरिया नाम ‘लेमुर’ जीव से निकला है।

2. तमिल परंपरा में इसे ‘कुमारी नाडू’ कहा गया।

3. कुछ मान्यताओं के अनुसार यह भारत से 3-4 गुना बड़ा था।

कुमारी कंदम (Kumari Kandam): भारत का वो भूभाग जो सागर में समा गया — मिथक या वैज्ञानिक भ्रम?

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