सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम (Saubhagya Ashtottara Stotram in Hindi)

सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र - संस्कृत में सौभाग्य अष्टोत्तरशतनामावली (Saubhāgya Aṣṭottaraśatanāma Avalī)

Saubhagya Ashtottara Stotram - सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र माँ पार्वती (सौभाग्य दायिनी शक्ति) के 108 पवित्र नामों की नामावली है, जिसे सौभाग्य प्राप्ति और पति की दीर्घायु के लिए विशेष रूप से स्त्रियाँ जपती हैं। "सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम" का अर्थ है – सौभाग्य (अर्थात् सौभाग्य, समृद्धि, मंगल और कल्याण देने वाली शक्ति) के १०८ नामों का संकलन। इसे संस्कृत में "सौभाग्य अष्टोत्तरशतनामावली" (Saubhāgya Aṣṭottaraśatanāma Avalī) कहा जाता है। यह सामान्यतः “सौभाग्य अष्टोत्तरशतनाम / सौभाग्य अष्टोत्तरशतनामावली (Saubhagya Ashtottara Shatanamavali)” के नाम से मिलता है। 

यह स्तोत्र माँ पार्वती (सौभाग्य प्रदायिनी शक्ति) को समर्पित है। इसमें माता के १०८ नामों का वर्णन है, जो जप, पाठ या पूजन के समय लिए जाते हैं। सामान्यत: इसका पाठ विवाहित स्त्रियाँ करती हैं, ताकि पति का मंगल, दाम्पत्य सुख, आयु और अखंड सौभाग्य बना रहे। विशेष अवसर: सौभाग्यवती व्रत, हरितालिका तीज, करवा चौथ, शिव-पार्वती पूजन आदि में इसका जप किया जाता है। अलग-अलग परम्पराओं में इसका सम्बन्ध माँ पार्वती (ललिता/त्रिपुरा-सुन्दरी), और कभी-कभी सौभाग्यलक्ष्मी / मङ्गला गौरी से जोड़ा जाता है — इसलिए इंटरनेट/ग्रन्थों में थोड़े-बहुत संस्करण भिन्न मिलते हैं। 

कई ज्योतिषियों के अनुसार, इस पाठ को शुक्लपक्ष के गुरुवार से शुरू करना चाहिए। सबसे पहले गणेश जी और इष्ट देवता का नाम लें, उनका ध्यान करें। जिस दिन से शुरू कर रहे हो उस दिन से संकल्प करके कम से कम 5 - 6 महीने रोज पढ़ना चाहिए।

सौभाग्याष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् देवनागरी संस्कृत में (Saubhāgya Aṣṭottara Satanām Lyrics in Sanskrit & Hindi)

ॐ कामेश्वरी कामशक्तिः कामसौभाग्यदायिनी ।
कामरूपा कामकला कामिनी कमलासना ॥ १ ॥

कमला कल्पनाहीना कमनीयकलावती ।कमलाभारतीसेव्या कल्पिताशेषसंसृतिः ॥ २ ॥

अनुत्तरा अनघा अनन्ता अद्भुतरूपानलोद्भवा।एकरूपैकवीरैकनाथै कान्तार्चनप्रिया॥ ३ ॥

एकैकभावतुष्टैकरसैकान्तजनप्रिया ।एधमानप्रभावैधद्भक्तपातकनाशिनी॥ ४ ॥

एलामोदमुखैनोऽद्रिशक्रायुधसमस्थितिः ।ईहाशून्येप्सितेशादिसेव्येशानवराङ्गना॥ ५ ॥

ईश्वराज्ञापिकेकारभाव्येप्सितफलप्रदा ।ईशानेतिहरेक्षेषदरुणाक्षीश्वरेश्वरी॥ ६ ॥

ललिता ललनारूपा लयहीना लसत्तनुः।
लयसर्वा लयक्षोणिर्लयकर्त्री लयात्मिका ॥ ७ ॥

लघिमा लघुमध्याढया ललमाना लघुद्रुता ।
हयारूढा हतामित्रा हरकान्ता हरिस्तुता ॥ ८ ॥

हयग्रीवेष्टदा हालाप्रिया हर्षसमुद्धता ।
हर्षणा हल्लकाभाङ्गी हस्त्यन्तैश्वर्यदायिनी ॥ ९ ॥

हलहस्तार्चितपदा हविर्दानप्रसादिनी ।
रामा रामार्चिता राज्ञी रम्या रवमयी रति: ॥ १० ॥

रक्षिणी रमणी राका रमणीमण्डलप्रिया ।
रक्षिताखिललोकेशा रक्षोगणनिषूदिनी ॥ ११ ॥

अम्बान्तकारिण्यम्भोजप्रियान्तकभयङ्करी ।अम्बुरूपाम्बुजकराम्बुजजातवरप्रदा ॥ १२ ॥

अन्तःपूजाप्रियान्तःस्थरूपिण्यन्तर्वचोमयी ।अन्तकारातिवामाङ्कस्थितान्तःसुखरूपिणी ॥ १३ ॥

सर्वज्ञा सर्वगा सारा समा समसुखा सती ।
सन्ततिः सन्तता सोमा सर्वा सांख्या सनातनी ॐ ॥१४॥

यह पूरा १०८ नामों का स्तोत्र है, जिसे “सौभाग्याष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्” कहा जाता है। देवी के इन नामों का जप करने से अखण्ड सौभाग्य, आयु, समृद्धि और मंगल की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से विवाहित स्त्रियाँ व्रत/पूजन में इसका पाठ करती हैं।

यह सम्पूर्ण स्तोत्र देवी के विविध स्वरूपों (सौन्दर्य, कल्याण, शक्ति, करुणा, ज्ञान और सौभाग्य) का स्मरण है। जप का अर्थ यह है कि – माँ पार्वती/ललिता त्रिपुरसुन्दरी ही सम्पूर्ण इच्छाओं को पूर्ण करने वाली, पापों का नाश करने वाली और अखण्ड सौभाग्य देने वाली शक्ति हैं।

श्रीसौभाग्याष्टोत्तरशतनामावली - सौभाग्य अष्टोत्तर शतनामावली (Saubhagya Ashtottara Shatanamavali Lyrics in Hindi)

॥ श्रीसौभाग्यायै नमः ॥

१ ॐ कामेश्वर्यै नमः ।

२ ॐ कामशक्त्यै नमः ।

३ ॐ कामसौभाग्यदायिन्यै नमः ।

४ ॐ कामरूपायै नमः ।

५ ॐ कामकलायै नमः ।

६ ॐ कामिन्यै नमः ।

७ ॐ कमलासनायै नमः ।

८ ॐ कमलायै नमः ।

९ ॐ कल्पनाहीनायै नमः ।

१० ॐ कमनीयकलावत्यै नमः ।

११ ॐ कमलाभारतीसेव्यायै नमः ।

१२ ॐ कल्पिताशेषसंसृत्यै नमः ।

१३ ॐ अनुत्तरायै नमः ।

१४ ॐ अनघायै नमः ।

१५ ॐ अनन्तायै नमः ।

१६ ॐ अद्भुतरूपायै नमः ।

१७ ॐ अनलोद्भवायै नमः ।

१८ ॐ अतिलोकचरित्रायै‌ नमः।

१९ ॐ अतिसुन्दर्यै नमः।

२० ॐ अतिशुभप्रदायै नमः।

२१ ॐ अघहन्त्रयै नमः।

२२ ॐ अतिविस्तारायै नमः।

२३ ॐ अर्चनतुष्टायै नमः।

२४ ॐ अमितप्रभायै नमः।

२५ ॐ एकरूपायै नमः ।

२६ ॐ एकवीरायै नमः ।

२७ ॐ एकनाथायै नमः ।

२८ ॐ एकान्तार्चनप्रियायै नमः ।

२९ ॐ एकस्यै नमः।

३० ॐ एकैकभावतुष्टायै नमः ।

३१ ॐ एकरसायै नमः ।

३२ ॐ एकान्तजनप्रियायै नमः ।

३३ ॐ एधमानप्रभावायै नमः ।

३४ ॐ एधद्भक्तपातकनाशिन्यै नमः ।

३५ ॐ एलामोदमुखायै नमः ।

३६ ॐ एनोऽद्रिशक्रायुधसमस्थित्यै नमः ।

३७ ॐ ईहाशून्यायै नमः ।

३८ ॐ ईप्सितायै नमः ।

३९ ॐ ईशादिसेव्यायै नमः ।

४० ॐ ईशानवराङ्गनायै नमः ।

४१ ॐ ईश्वराज्ञापिकायै नमः ।

४२ ॐ ईकारभाव्यायै नमः ।

४३ ॐ ईप्सितफलप्रदायै नमः ।

४४ ॐ ईशानायै नमः ।

४५ ॐ ईतिहरायै नमः ।

४६ ॐ ईक्षायै नमः ।

४७ ॐ ईषदरुणाक्ष्यै नमः ।

४८ ॐ ईश्वरेश्वर्यै नमः ।

४९ ॐ ललितायै नमः ।

५० ॐ ललनारूपायै नमः ।

५१ ॐ लयहीनायै नमः ।

५२ ॐ लसत्तनवे नमः ।

५३ ॐ लयसर्वायै नमः ।

५४ ॐ लयक्षोण्यै नमः ।

५५ ॐ लयकर्त्र्यै नमः ।

५६ ॐ लयात्मिकायै नमः ।

५७ ॐ लघिम्ने नमः ।

५८ ॐ लघुमध्याढयायै नमः ।

५९ ॐ ललमानायै नमः ।

६० ॐ लघुद्रुतायै नमः ।

६१ ॐ हयारूढायै नमः ।

६२ ॐ हतामित्रायै नमः ।

६३ ॐ हरकान्तायै नमः ।

६४ ॐ हरिस्तुतायै नमः ।

६५ ॐ हयग्रीवेष्टदायै नमः ।

६६ ॐ हालाप्रियायै नमः ।

६७ ॐ हर्षसमुद्धतायै नमः ।

६८ ॐ हर्षणायै नमः ।

६९ ॐ हल्लकाभाङ्गयै नमः ।

७० ॐ हस्त्यन्तैश्वर्यदायिन्यै नमः ।

७१ ॐ हलहस्तार्चितपदायै नमः ।

७२ ॐ हविर्दानप्रसादिन्यै नमः ।

७३ ॐ रामायै नमः ।

७४ ॐ रामार्चितायै नमः ।

७५ ॐ राज्ञ्यै नमः ।

७६ ॐ रम्यायै नमः ।

७७ ॐ रवमय्यै नमः ।

७८ ॐ रत्यै नमः ।

७९ ॐ रक्षिण्यै नमः ।

८० ॐ रमण्यै नमः ।

८१ ॐ राकायै नमः ।

८२ ॐ रमणीमण्डलप्रियायै नमः ।

८३ ॐ रक्षिताखिललोकेशायै नमः ।

८४ ॐ रक्षोगणनिषूदिन्यै नमः ।

८५ ॐ अम्बायै नमः ।

८६ ॐ अन्तकारिण्यै नमः ।

८७ ॐ अम्भोजप्रियायै नमः ।

८८ ॐ अन्तकभयङ्कर्यै नमः ।

८९ ॐ अम्बुरूपायै नमः ।

९० ॐ अम्बुजकरायै नमः ।

९१ ॐ अम्बुजजातवरप्रदायै नमः ।

९२ ॐ अन्तःपूजाप्रियायै नमः ।

९३ ॐ अन्तःस्थरूपिण्यै नमः ।

९४ ॐ अन्तर्वचोमय्यै नमः ।

९५ ॐ अन्तकारातिवामाङ्कस्थितायै नमः ।

९६ ॐ अन्तःसुखरूपिण्यै नमः ।

९७ ॐ सर्वज्ञायै नमः ।

९८ ॐ सर्वगायै नमः ।

९९ ॐ सारायै नमः ।

१०० ॐ समायै नमः ।

१०१ ॐ समसुखायै नमः ।

१०२ ॐ सत्यै नमः ।

१०३ ॐ सन्तत्यै नमः ।

१०४ ॐ सन्ततायै नमः ।

१०५ ॐ सोमायै नमः ।

१०६ ॐ सर्वायै नमः ।

१०७ ॐ साङ्ख्यायै नमः ।

१०८ ॐ सनातन्यै नमः ।

॥ इति श्रीत्रिपुरारहस्ये श्रीसौभाग्याष्टोत्तरशतनामावलीः सम्पूर्णा ॥

अर्चना कैसे करें? 

सौभाग्याष्टोत्तरशतनामावली” लेकर प्रत्येक नाम पर पुष्प/अक्षत समर्पित करें—“ॐ … यै नमः” (देवी-लिंग के कारण “यै”)। क्रम वही रखें जैसा नामावली में है। 

इस स्तोत्र के नामों का मुख्य भाव है — देवी अद्वितीय हैं, एकमात्र हैं, अखण्ड हैं, और वे ही सम्पूर्ण सौभाग्य, समृद्धि, आयु, भक्ति और कल्याण की दात्री हैं।

“स्तोत्र” और “नामावली” में अन्तर - “स्तोत्र” में 108 नाम श्लोकों के रूप में आते हैं; “नामावली” वही 108 नाम अर्चना के रूप में “ॐ …यै नमः” क्रम से दिए जाते हैं—पूजा/पुष्पार्चन में इन्हीं का प्रयोग होता है। 

Disclaimer - जरूरी नोट
कृपया इसका पाठ अपने ज्योतिषी और पंडित जी से पूछकर ही करें। 

सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम (Saubhāgya Aṣṭottaraśatanāma Avalī in Hindi)

FAQs 

1) सौभाग्याष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम् है क्या?

यह देवी श्रीललिताम्बिका (श्री ललिता/त्रिपुरासुन्दरी) का 108 नामों वाला स्तोत्र है, जिसमें उपोद्घात, 108 नाम और फलश्रुति—तीनों भाग आते हैं। 

2) सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र पाठ करने की विधि क्या है?

कई ज्योतिषियों के अनुसार, इस पाठ को शुक्लपक्ष के गुरुवार से शुरू करना चाहिए। सबसे पहले गणेश जी और इष्ट देवता का नाम लें, उनका ध्यान करें। जिस दिन से शुरू कर रहे हो उस दिन से संकल्प करके कम से कम 5 - 6 महीने रोज पढ़ना चाहिए।

3) सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र किस ग्रन्थ में आता है?

त्रिपुररहस्य के माहात्म्यखण्ड के 26वें अध्याय में—दत्तात्रेय द्वारा परशुराम (भार्गव) को उपदिष्ट। स्तोत्र के अन्त के कोलॉफन में यही उल्लेख है। 

4) कोलॉफन क्या होता है?

कोलॉफन (Colophon / कोलophon) का अर्थ ग्रंथों, शास्त्रों या स्तोत्रों के अंत में लिखे गए उस अंतिम कथन से है, जिसमें यह बताया जाता है कि यह ग्रंथ या स्तोत्र किस ऋषि ने किस छंद में, किस देवता की स्तुति के लिए, किस फल हेतु रचा है। सरल भाषा में, कोलॉफन = स्तोत्र/ग्रंथ का एंड-नोट या आख़िरी नोट जिसमें ग्रंथ के बारे में जानकारी होती है।

संस्कृत ग्रंथों में इसे सामान्यतः “कोलॉफन श्लोक” कहा जाता है। यह भाग प्रार्थना का नहीं, बल्कि सूचना देने वाला हिस्सा होता है। उदाहरण के लिए — किसी भी स्तोत्र के अंत में ऐसा लिखा मिलता है: 

॥ इति श्रीसौभाग्यलक्ष्मीअष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

यहाँ “इति…” से शुरू होने वाला वाक्य ही कोलाफन कहलाता है।

5) कोलाफन में सामान्यतः क्या-क्या होता है?

1. देवता का नाम – किस देवता की स्तुति है (जैसे लक्ष्मी, विष्णु, शिव आदि)।

2. ऋषि का नाम – रचयिता कौन हैं।

3. छंद – किस छंद में रचा गया।

4. देवता का स्वरूप – किस रूप में देवता की आराधना है।

5. फलश्रुति – इसका पाठ करने से क्या फल प्राप्त होगा।

6. समाप्ति सूचक – "इति सम्पूर्णम्" इत्यादि।

3) इस स्तोत्र के ऋषि, छन्द, देवता क्या हैं?

कोलॉफन के अनुसार ऋषि—शिव, छन्द—अनुष्टुप्, देवता—श्रीललिताम्बिका। 

6) सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र के रचयिता/वक्ता कौन माने जाते हैं?

परम्परा में वक्ता दत्तात्रेय हैं (परशुराम से संवाद), यही बात आधुनिक स्तोत्र-संग्रह भी देता है। 

7) सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र की फलश्रुति क्या है?

संक्षेप में—यह स्तोत्र त्रिसन्ध्या (सुबह-दोपहर-साँझ) नित्य पढ़ने वाले के लिये “भुवि दुर्लभम्” कुछ भी दुराप्य नहीं रहता; श्रीविद्या-उपासकों के लिये यह आवश्यक माना गया; सहस्रनाम की जगह असमर्थ हों तो इसका जप करें, फल शतगुण बताया गया है। (श्लोक 29–33 का भावार्थ) 

8) क्या इस सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र की कोई विशेष विधि/न्यास है?

हाँ—“कूटत्रयेण देवता-विन्यास” का संकेत है (श्रीविद्या की त्रिकूटा परम्परा), फिर ध्यान-पूजन के बाद स्तोत्र-पाठ। 

सामान्य भक्त केवल स्तोत्र/नामावली पढ़ सकते हैं; उन्नत विन्यास दीक्षा-परम्परा का विषय है। 

9) सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र किस देवी-रूप की उपासना है?

मुख्यतः श्री ललिता/राज-राजेश्वरी (त्रिपुरासुन्दरी) रूप। अनेक प्रतिष्ठित स्तोत्र-संग्रह इसे “ललिता स्तोत्राणि” के अंतर्गत रखते हैं। 

10) सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र उच्चारण/पाठ किस भाषा में उपलब्ध है?

देवनागरी, IAST/English लिप्यन्तरण और कई भारतीय भाषाओं में प्रमाणित पाठ उपलब्ध हैं। 

11) क्या यह लक्ष्मी-उपासना भी कही जाती है?

कहीं-कहीं सौभाग्य को लक्ष्मी-तत्त्व से जोड़ा जाता है, पर स्तोत्र का प्रामाणिक कोलॉफन इसे ललिताम्बिका-केंद्रित बताता है; इसलिए मूल संदर्भ ललिता/श्रीविद्या पर है। 

12) स्तोत्र कब पढ़ें—क्या केवल शुक्रवार/नवरात्रि में?

ग्रन्थ में “त्रिसन्ध्या नित्यं” कहा है; शुक्रवार, नवरात्रि आदि लोकाचार हैं, पर अनिवार्य नहीं। 

13) क्या कोई भी पढ़ सकता/सकती है?

हाँ, यह सामान्य स्तोत्र-पाठ है; दीक्षा-विशेष की बाध्यता नहीं। श्रीविद्या-उपासकों के लिये यह “आवश्यक” बतला है, पर साधारण भक्त भी श्रद्धापूर्वक जप/पाठ कर सकते हैं। 

14) यह पाठ किसने संकलित/डिजिटाइज़ किया?

आधुनिक मानक सम्पादनों में गीता प्रेस के स्तोत्र-/शतनाम-संग्रह, StotraNidhi और SanskritDocuments (आईटीएक्स/पीडीएफ) प्रमुख हैं। 

15) “लेखक: दत्तात्रेय” का उल्लेख कहाँ मिलता है?

कई स्तोत्र-संग्रह (जैसे Stotram.co) “Author: Dattatreya” लिखते हैं—यही परम्परा त्रिपुररहस्य के संवाद-ढाँचे से भी मेल खाती है। 

16) क्या किसी विशेष मन्त्र-दीक्षा की ज़रूरत?

सामान्य पाठ/अर्चना के लिये नहीं; पर “कूटत्रयेण विन्यास” जैसी विषयवस्तु श्रीविद्या-दीक्षा-परम्परा में आती है—ऐसे प्रयोग केवल और केवल गुरु-मार्गदर्शन से ही करें। 

17) इस स्तोत्र में 108 नाम कहाँ से शुरू होकर कहाँ तक हैं?

स्तोत्र में 11वें से 25वें श्लोक तक 108 नाम समाहित हैं; नामावली में वही नाम क्रमवार “नमः” के साथ दिये जाते हैं। 

18) सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र में कौन-कौन से नाम विशेष प्रसिद्ध हैं?

उदाहरण: “कामेश्वरी, कामशक्ति, कमलासन, ललिता, राज्ञी, रक्षिणी…”—ये सब 108 नामों का ही हिस्सा हैं (नामावली/स्तोत्र—दोनों में)। 

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