सांख्यिकी की विशेषताएं (Characteristics of Statistics in Hindi)

Characteristics of Statistics in Hindi - सांख्यिकी की विशेषताएं

सांख्यिकी की मुख्य विशेषताएं (Characteristics of Statistics in Hindi - Sankhyiki ki Visheshta) और लक्षण इस प्रकार हैं:

1. सांख्यिकी तथ्यों का समुच्चय (संग्रह या समूह) है।  

किसी एक तथ्य से सम्बंधित कोई 'अकेला अंक' को सांख्यिकी नहीं कह सकते हैं, क्योंकि उससे किसी प्रकार का कोई उचित निष्कर्ष नहीं निकला जा सकता है, अर्थात एकल (single) और पृथक (isolated) आंकड़े सांख्यिकी नहीं है क्योंकि ये आंकड़े असंबंधित हैं और उनकी तुलना नहीं की जा सकती है। 

उदाहरण के लिए, रोजगार, खरीद, जन्म, मृत्यु, दुर्घटना, उत्पादन, बिक्री आदि से संबंधित एक एकल आंकड़े को सांख्यिकीय नहीं माना जा सकता है, 

हालांकि ऐसे आंकड़ों के संग्रह को उनकी तुलना और संबंध के कारण आंकड़े कहा जा सकता है। 
उदाहरण के लिए, अगर कोई अकेला अंक '29872' दिया गया है तो इस एकल आंकड़े का कोई भी अर्थ नहीं है, हम इस अकेले अंक '29872' से कोई भी निष्कर्ष नहीं निकल सकते हैं, लेकिन यदि बहुत सारे अलग-अलग वर्षों के जनसँख्या सम्बन्धी आंकड़े दिए गए हो, तो इनकी तुलना करना और निष्कर्ष निकालना सरल होता है।

2. सांख्यिकी कई कारकों (कारणों) से काफी हद तक प्रभावित होती है। 

जांच के एक विशेष क्षेत्र में, कई कारण आँकड़ों को प्रभावित करते हैं, जैसे, उत्पादन के आँकड़ों पर, उर्वरता, मिट्टी, कच्चे माल की उपलब्धता, जलवायु और त्वरित परिवहन विधियों का प्रभाव पड़ता है। 

3. सांख्यिकी संख्यात्मक रूप से व्यक्त, गणना या अनुमानित हैं। 

सभी आँकड़े तथ्यों के संख्यात्मक कथन होते हैं - जैसे ऊंचाई 5 फीट, 6 फीट आदि है, अर्थात् आंकड़ों को संख्याओं में व्यक्त किया जाता है। 

मात्रात्मक विवरण - जैसे "भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है"; या "गेहूं का उत्पादन पर्याप्त नहीं है", या गुणात्मक विवरण - जैसे लम्बा आदमी, बौना आदमी आदि, आंकड़े नहीं बनाते हैं । कारण यह है कि इस तरह के बयान अस्पष्ट हैं और कोई उनसे कुछ भी नहीं निकाल सकता है। 
  
दूसरे शब्दों में, सांख्यिकी अनिवार्य रूप से संख्यात्मक रूप में व्यक्त तथ्यों से संबंधित है - उनके मात्रात्मक विवरण के साथ लेकिन गुणात्मक विवरण नहीं। इसलिए, परिणामस्वरूप, "अच्छा" या "बुरा" जैसे शब्दों द्वारा दर्शाए गए तथ्य तब तक आंकड़े नहीं हैं जब तक कि प्रत्येक अभिव्यक्ति के लिए एक संख्यात्मक समकक्ष निर्दिष्ट नहीं किया जाता है। अर्थात सांख्यिकी की मुख्य विशेषता यह है की वे हमेशा संख्याओं में व्यक्त किये जाते हैं।

4. सांख्यिकी की गणना या अनुमान सटीकता के उचित मानक के अनुसार किया जाता है। 

किसी भी घटना के बारे में तथ्य और आंकड़े प्राप्त करने के दो तरीके हैं --- वास्तविक गिनती और माप या अनुमान। आंकड़ों का संग्रह करते समय सटीकता या शुद्धता बनाये रखना अति आवश्यक है। लेकिन सवाल यह उठता है कि सटीकता का मूल्यांकन कैसे किया जाए? 

इसके जवाब में केवल यही कह सकते है कि सटीकता या शुद्धता एक सापेक्षिक शब्द है, निरपेक्ष नहीं। अनुमान वास्तविक गणना या माप जितना यथार्थ (सही) और सटीक (शुद्ध) नहीं हो सकता। कई मामलों में संख्याओं की 100% सटीकता प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है। 

सटीकता का वांछित स्तर, काफी हद तक जांच और रिसर्च की प्रकृति, उद्देश्य, समय और आर्थिक स्तिथि पर निर्भर करती है। हालांकि, उचित सटीकता मानकों को प्राप्त करना महत्वपूर्ण है; अन्यथा, संख्या पूरी तरह से भ्रामक हो सकती है। 

5. सांख्यिकी को व्यवस्थित तरीके से एकत्र किया जाता है। 

आंकड़े (डेटा) एकत्र करने से पहले, एक उपयुक्त डेटा संग्रह की योजना तैयार की जानी चाहिए, ताकि रिसर्च का दायरा, समय और उद्देश्य पहले से निर्धारित किया जा सके और काम को व्यवस्थित तरीके से पूरा जा सके। बिना किसी योजना के, बेतरतीब ढंग से एकत्र किए गए डेटा (आंकड़ों) से बहुत ही गलत निष्कर्ष निकल सकते हैं। 

6. सांख्यिकी एक पूर्व निर्धारित उद्देश्य के लिए एकत्र की जाती है। 

डेटा एकत्र करने का उद्देश्य पहले से तय किया जाना चाहिए। उद्देश्य अच्छी तरह से परिभाषित और विशिष्ट होना चाहिए। उद्देश्य का एक सामान्य विवरण देना पर्याप्त नहीं है। 

उदाहरण के लिए, यदि उद्देश्य "कीमतों पर डेटा एकत्र करना है" तो यह किसी भी उपयोगी उद्देश्य की पूर्ति नहीं करेगा जब तक कि कोई यह नहीं जानता कि वह थोक या खुदरा कीमतों पर डेटा एकत्र करना चाहता है या नहीं। 

बिना किसी उद्देश्य के एकत्र किये गए आँकड़े मात्र संख्याएँ होती हैं, आँकड़े नहीं। यदि उद्देश्य पहले से निर्धारित नहीं है, तो डेटा में शुद्धता नहीं होगी और उनसे कोई सही निष्कर्ष नहीं निकल पाएंगे।  

7. सांख्यिकी को एक दूसरे से तुलना करने में सक्षम होना चाहिए। 

आंकड़ों की अंतिम विशेषता यह है कि उन्हें हमेशा एक दूसरे के साथ सम्बंधित रूप में प्रस्तुत किये जाने चाहिए ताकि उनकी तुलना संभव हो सके। यानी एकत्र किया गया डेटा (आंकड़ा) तुलनीय होना चाहिए और एक ही जांच विभाग में अच्छी तरह से जुड़ा होना चाहिए। 

दूसरे शब्दों में, आंकड़ों में सजातीयता और एकरूपता का गुण होना चाहिए। यदि विजातीय आंकड़ों को लिया जाय तो उनकी तुलना करना या उनसे कोई निष्कर्ष निकलना कठिन ही नहीं बल्कि असंभव भी है। 

उदाहरण के लिए, पतियों की आयु की तुलना केवल पत्नियों की संगत आयु से की जानी चाहिए, न कि वृक्षों की ऊँचाई से। 
उदाहरण के लिए, 'लोगों की उम्र की तुलना पेड़ों की ऊंचाई से नहीं की जा सकती है', अथवा, 'छात्रों की संख्या की तुलना सड़कों की लम्बाई से नहीं की जा सकती है'। 
यानी 'लोगों की उम्र और पेड़ों की ऊंचाई', अथवा, 'छात्रों की संख्या और सड़कों की लंबाई' आदि तुलना योग्य तथ्य नहीं है और इसलिए इनको सांख्यिकी नहीं कहा जा सकता है। 

हां, छात्रों की आयु और वजन के अंकों को सांख्यिकी माना जाएगा, क्योंकि इनमे सांख्यिकीय 'सहसम्बन्ध' स्थापित किया जा सकता है।  
अतः सांख्यिकी कहलाने के लिए यह आवश्यक है कि संख्याएँ समय, स्थान या परिस्थिति के आधार पर तुलना योग्य हों। 

उपरोक्त विशेषताओं के बिना, संख्यात्मक डेटा (आंकड़ों) को सांख्यिकीय नहीं कहा जा सकता है, और इसलिए, "सभी सांख्यिकी तथ्यों (facts) के संख्यात्मक बयान (numerical statements) हैं, लेकिन तथ्यों के सभी संख्यात्मक बयान (numerical statements) सांख्यिकी नहीं हैं।"

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